भारतीय शेयर बाज़ारों में ये चौथा मौक़ा था जब कारोबार बंद करना पड़ा.
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सर्वे में कहा गया कि बड़ी संख्या में पिचकारी बनाने वाली भारतीय कंपनियों को कारोबार बंद करना पड़ा और लगभग 10 लाख लोगों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा।
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उन्होंने कहा कि चीन के नियमों के मुताबिक़ अगर कोई कंपनी चीन में कारोबार बंद करना चाहता है, तो भी उसे विदेश मंत्रालय को बताना चाहिए क्योंकि यह भी चीन का क़ानून है.
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इस मामले पर रूसी राजदूत अलेक्जेंडर कदाकिन का कहना था कि अगर भारत सरकार ने शर्तो में संशोधन नहीं किया तो सिस्टेमा को भारतीय बाजार में अपना कारोबार बंद करना पड़ेगा जैसा कि कुछ अन्य विदेशी कंपनियां कर चुकी हैं।
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हुआ यह था कि पहले इन कंपनियों ने ऊँची बोलियां लगाकर लाइसेंस और स्पेक्ट्रम हासिल कर लिए और बाद में सरकार पर दबाव बनाया कि उनके लिए इतनी ऊँची लाइसेंस फ़ीस दे पाना संभव नहीं है और घाटे के कारण उन्हें अपना कारोबार बंद करना पड़ेगा.
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अल्पकालिक कदम उठाते हुए सरकार को अवश्य ही कृषि को पुनर्जीवंत बनाने एवं कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए सभी प्रयास करने चाहिए, खाद्य एवं पदार्थों का निर्यात बन्द करना चाहिए, वायदा कारोबार बंद करना चाहिए, बेईमान खाद्यान्न व्यापारियों को आसान बैंक कर्ज देना बन्द करना चाहिए।
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अगर ऐसा है तो सरकार को मुद्रा वायदा कारोबार बंद करना चाहिए और भविष्य की चुनौतियो की संभावनाओं को ख़त्म कर सकते हैं....वैसे भी मुद्रा बाज़ार में आया है तो इसके असर से बच नहीं सकता और अपने फ़ायदे के लिए कुछ लोग या संस्था कृत्रिम तरीक़े से घटा या बढ़ा सकते हैं...